Saturday 24 October 2015

कुछ बची है तो वो है बस बचपन की यादें ..........

याद आती है वो पुरानी घटनाएँ , दोस्तों का साथ अब तो कोई आमने सामने कम ही मिलते है अब तो फेस टु फेस कम और फेसबुक पर ही मिल जाया करते है जाने अनजाने कुछ चेहरे , भूले बिसरे कुछ दोस्त वक्त के साथ सब बदलता है ....... शहर तो आज भी वही है लेकिन वो स्कूल ,वो कॉलेज वो टीचर नहीं रहे वो माहौल नहीं रहा ,सब कुछ बदल गया कुछ बची है तो वो है बस बचपन की यादें ..................

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