Friday 9 October 2015

हिसाब बराबर - DIMAGI KAHANI

हिसाब बराबर


एक डॉक्टर ने नया-नया क्लीनिक खोला तो बाहर बोर्ड टाँग दिया, जिस पर लिखा था, "किसी भी बीमारी का इलाज़ मात्र 300/- रुपये में और अगर हम आपका इलाज़ नहीं कर पाये तो हम आपको 1000/- रुपये देंगे।" यह बोर्ड पढ़कर एक दिन एक आदमी के मन में ख्याल आया कि क्यों न कोई चालाकी की जाये और 1000/- रुपये कमाये जाएँ। इसी सोच के साथ आदमी डॉक्टर के पास पहुँच गया। डॉक्टर: आईये बैठिये, बताइये क्या तक़लीफ है आपको? आदमी: डॉक्टर साहब, मैं अपना स्वाद खो चुका हूँ। कुछ भी खाता या पीता हूँ तो स्वाद का पता ही नहीं चलता। डॉक्टर ने पूरी बात सुनी और नर्स से कहा कि 22 नंबर वाली बोतल में से कुछ बूंदे इनकी जीभ पर डाल दो। नर्स से जैसे ही बूंदे आदमी की जीभ पर डाली, आदमी एक दम से चिल्लाया, "यह तो पेशाब है।" डॉक्टर: मुबारक हो आपका स्वाद वापस आ गया। आदमी बहुत शर्मिंदा हुआ और उसे 300/- रूपये भी गंवाने पड़े। कुछ दिनों बाद वो फिर से डॉक्टर के पास अपना हिसाब बराबर करने पहुँच गया। डॉक्टर: जी अब क्या तकलीफ हो गयी। आदमी: डॉक्टर साहब, मैं अपनी यादाश्त कमज़ोर हो गयी है। डॉक्टर ने नर्स से कहा कि 22 नंबर वाली बोतल में से दवाई निकाल कर इनको दो। यह सुन कर आदमी तुरंत बोला, "डॉक्टर साहब वो दवाई तो स्वाद वापस लाने के लिए है न।" डॉक्टर: मुबारक हो आपकी यादाश्त भी वापस आ गयी है।

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