Wednesday, 23 September 2015

50 रु

सड़क किनारे खम्बे पर लटके कागज़ पर लिखा हुआ था ‘मेरे 50 रु गम होगये हैं जीको मिले वह मेरे घर जो के फलां जगह है पहुँचाने का कष्ट करें मैं एक बहुत ही गरीब और बूढी औरत हूँ मेरा कोई कामने वाला नहीं रोटी खरीदने के लिए भी मोहताज रहती हूँ। एक आदमी ने उसे पढ़ा तो वह कागज़ पर लिखे हुए पते पर पहुच गया जेब से 50 रु निकाल कर बुढिया को दिया तो वह पैसे लेते हुए रो पड़ी और कहने लगी ” तुम बारहवीं आदमी हो जिसे मेरे पचास रु मिले हैं और वह मुझे पहुंचाने चला आया हो ‘ आदमी पैसे देकर मुस्कुराते हुए जाने लगा तो बुध्य ने उसे पीछे से आवाज़ देते हुए कहा ” बेटा जाते हुए वह कागज़ जहाँ लगा हुआ है उसे फाड़ते हुए जाना क्यू के न तो मैं पढ़ी लिक्खी हूँ और न ही मैं ने वह कागज़ वहां चिपकाया है” ———————— दुनिया में आज भी ऐसे लोग हैं जिनके द्वारा ऊपर वाला कमजोरों, गरीबों की मदद करता रहता है। लेकिन क्या हम उन लोगों में से हैं ? जिन्हें ऊपर वाला कमजोरों, गरीबों की मदद के लिए चुने सोचने और गौर करने वाली बात है।

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