Wednesday 30 September 2015

शराबी शिष्य

शराबी शिष्य

एक जेन मास्टर के सैकड़ों शिष्य थे . वे सभी नियमों का पालन करते थे और समय पर पूजा करते थे . लेकिन उनमे से एक शिष्य शराबी था , वो न नियमों का पालन करता था और न ही समय पर पूजा करता था. मास्टर वृद्ध हो रहे थे . आश्रम में यही चर्चा थी कि मास्टर किसे अपने रहस्य बताएँगे और अपना उत्तराधिकारी घोषित करेंगे … सभी का अनुमान था कि मास्टर के कुछ प्रिय शिष्यों में से एक ही अगला मास्टर बनेगा . पर मरने से कुछ समय पहले मास्टर ने शराबी शिष्य को बुलाया और सारे रहस्य बता कर उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया . ये बात किसी के गले नहीं उतरी , जल्द ही बाकी शिष्यों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया . एक शिष्य क्रोधित होते हुए बोला ,“ कितना शर्मनाक है ये … हमने एक गलत मास्टर के लिए अपना बहुमूल्य समय बर्वाद कर दिया , उसने हमारे जैसे गुणवान शिष्यों को चुनने की बजाये एक शराबी को चुन लिया। “ उसकी बात सुनकर मास्टर बोले , “ पुत्रों , मैं अपने रहस्य केवल उसी को बता सकता था जिसे मैं अच्छी तरह से जानता हूँ . तुम सभी बड़े गुणवान हो लेकिन तुम सबने मेरे सामने हमेशा अपनी अच्छाई ही रखी अपनी बुराइयों को कभी सामने नहीं आने दिया . ये खतरनाक है; क्योंकि अक्सर इन गुणों के पीछे व्यक्ति का घमंड , गर्व और असहिष्णुता छिपी रह जाती है . इसलिए मैंने उस शिष्य को चुना जिसकी बुराइयों को भी मैं देख सकता हूँ और जिसे मैं सबसे अच्छी तरह से जानता हूँ .”

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