Friday, 11 September 2015

ANAND SAGAR 4

प्रेम (जीवन सार ) एक सेठ के पास चार पत्निया थी . उसे अपनी चौथी पत्नी से बहुत ज्यादा प्रेम था वह उसे महंगे आभूषण देता था .वह उसे वो सारी सुख सुविधा देता था जो वह चाहती थी . वह अपनी तीसरी पत्नी से भी बहुत प्रेम करता था. अपने दोस्तों के बीच उसे दिखा कर वह गर्व का अनुभव करता था लेकिन उसे डर था कि वो कही किसी और के पास न चली जाए . वह आपनी दूसरी पत्नी से भी प्रेम करता था .वह बहुत ही विचारवान और सयमी महिला थी जो सेठ के लिए बहुत विश्वास पात्र थी .जब भी सेठ को कोई परेशानी आती थी तो वो अपनी दूसरी पत्नी से सलाह लेता था और वो उसकी मदद करती थी . सेठ की पहली पत्नी बहुत समर्पित सगनी थी वो उसके व्यवसाय , धन और घर की देखभाल करती थी .सेठ उससे प्रेम नही करता था और उस पर धयान भी नही देता था पर वो सेठ से बहुत ज्यादा प्रेम करती थी. एक दिन सेठ बीमार पड़ गया और उसे पता चल गया कि वह अब ज्यादा दिन जीवित नही रहेगा । उसने अपने विलासिता भरे जीवन के बारे में सोचा और ख़ुद से कहा "मेरे पास चार पत्निया है पर मरने के बाद मैं अकेला हो जाऊंगा. कितना अकेला हूँ मैं ! " . तब, उसने अपनी चौथी पत्नी से पूछा "मैंने तुम्हे सबसे ज्यादा प्यार किया है , तुम्हारा हर ख्याल रक्खा है . अब मैं मर रहा हूँ ,क्या तुम मेरा साथ दोगी, मेरे साथ तुम भी ये संसार छोड़ दोगी ?" "कभी नही " ऐसा जवाब देते हुए बिना कुछ और कहे वो वहां से चली गई . ऐसा जवाब सुन कर सेठ के ह्रदय में धक्का लगा .तब दुखी सेठ ने अपनी तीसरी पत्नी से पूछा "मैं आपने जीवन में तुमसे बहुत प्रेम किया है .अब मैं मर रहा हूँ ,क्या तुम मेरा साथ दोगी, मेरे साथ तुम भी ये संसार छोड़ दोगी ?" "नही!" चौथी पत्नी बोली "यहाँ जिन्दगी बहुत अच्छी है ! तुम्हारे मरने के बाद मैं दूसरा विवाह कर लुंगी!" सेठ का ह्रदय ठंडा पड़ने लगा . तब उसने अपनी दूसरी पत्नी से पूछा "मैं हमेशा तुम्हारे पास मदद के लिए आया और तुमने हमेशा मेरी मदद की है। अब मुझे तुम्हारी फिर मदद चाहिए .अब मैं मर रहा हूँ ,क्या तुम मेरा साथ दोगी, मेरे साथ तुम भी ये संसार छोड़ दोगी ?" "मैं क्षमा चाहती हूँ , मैं तुम्हारी कोई मदद नही कर सकती हूँ" दूसरी पत्नी बोली "हाँ मैं तुम्हे कब्र तक छोड़ सकती हूँ " ये जवाब सुन कर सेठ को लगा कि एक तूफान आया जिसने उसे तोड़ दिया है . तभी एक आवाज आती है "मैं तुम्हारे साथ चलूंगी . इससे कोई फर्क नही पड़ता कि तुम कहाँ जा रहे हो" सेठ ने देखा उसकी पहली पत्नी ये कह रही थी . वह बहुत दुखी और कमज़ोर दिखाई दे रही थी . सेठ ने क्षमा मांगते हुए कहा "मैं तुम्हारा अच्छा ख्याल रख सकता था, जो मेरे पास था!". हम सब के पास जीवन में चार पत्निया होती है . चौथी पत्नी हमारा शरीर है . हम अच्छा दिखने के लिए कितना समय और ध्यान खर्च करते है पर मरने पर ये शरीर यही रह जाता है . तीसरी पत्नी ? हमारा अधिकार , पैसा और सम्पत्ति है जो हमारे मरने के बाद किसी और के पास चला जाता है . दूसरी पत्नी हमारा परिवार और मित्र है. इससे फर्क नही पड़ता कि वो हमारे कितने घनिष्ठ है जब तक हम जीवित है , वे हमारा केवल कब्र तक ही साथ देगे . पहली पत्नी हमारी आत्मा है जिसकी हम अक्सर आनन्द , उन्माद में उपेक्षा करते है .

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