क्या पत्थर भी बोल सकते हैं? थोड़ा विश्वास तो आपको भी होगा क्योंकि आप और हम बचपन से ऐसी कथाएं सुनते आ रहे हैं कि धन्ने भगत ने पत्थर में से भगवान को पा लिया था। आप यह पूर्ण विश्वास करते हैं कि पत्थर आप की बात सुनते हैं और उत्तर भी देते हैं। आप इनसे मनचाही आशा लगाते हो। अब जब मैं कह रहा हूँ, तो आप इनकार कर रहे हो। क्यों भाई? हॉं, भई पत्थर भी बोलते हैं। यही नहीं पत्थर दिल का रहस्य भी बता सकते हैं। कहते हुए जादूगर का सहायक किसी एक दर्शक को स्टेज पर बुलाता है। वह दर्शक को मेज पर पड़े नीले, हरे, पीले, लाल और सफेद संगमरमर के टुकड़ों में से किसी एक मनचाहे टुकड़े को पसंद करने के लिए कहता है। तभी जादूगर भी वहां पर आ जाता है। वह शेष बचे पत्थरों पर जादू का डण्डा घुमाता है और दर्शक द्वारा पसंद किये गये पत्थर को बता देता है। अब आप पूछोगे कैसे? तो भइया, सारा रहस्य जादूगर की स्टेज पर आमद तक के समय में ही सीमित होता है। जब जादूगर स्टेज पर पहुंचता है, तो सहायक अपने शरीर के किसी भी अंग से उसे छू देता है।
किसी विशेष भाग को छूने से ही जादूगर को यह पता चल जाता है कि दर्शक ने किस रंग के पत्थर को पसंद किया है। अगर सहायक सिर को छूता है, तो इसका अर्थ है लाल रंग, कंधे को छुआ, तो हरा, पीठ को छुआ, तो पीला, पेट को छुआ, तो नीला आदि आदि। जादूगर इसी प्रकार विभिन्न प्रकार के संकेतों से सारी बात समझ लेता है लेकिन अनपढ़ लोग समझते हैं कि यह जादूगर बहुत पहुंच वाला है।
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