Friday, 11 September 2015

होत न आज्ञा बिनु पैसा रे

होत न आज्ञा आज सुबह जब मैं हनुमान चालीसा का पाठ कर रहा था तो मेरे एक मित्र ने कहा आप को पता है की हनुमान चालीसा में लिखा हुआ है कि "बिना पैसे के कोई आज्ञा / आदेश नही होता "। मैंने कहा नही मैंने आज तक नही पढ़ा, तो वो बोले "आप ने कभी ध्यान से नही पढ़ा" । मैंने कहा "मैं रोज हनुमान चालीसा का पाठ करता हूँ और मुझे कंटस्थ है "। वो बोले नही आप ने बस पढ़ा है लेकिन कभी अर्थ पर ध्यान नही दिया मैंने कहा "मुझे हर पंक्ति याद है और किसी भी पंक्ति में ऐसा कुछ नही है "। वो बोले "आप ने एक पंक्ति पर ध्यान नही दिया "। मैंने कहा "कौन सी पंक्ति "। "होत न आज्ञा बिनु पैसारे" एकदम सरल अर्थ है "बिना पैसे के कोई आज्ञा नही होती, अगर आप के पास पैसा नही है तो कोई भी आप कि बात नही सुनेगा"। काफी सोचने के बाद मैंने कहा "कह तो आप सही रहे है लेकिन हम मानेगे नही " तो वो बोले "ठीक है आप मनो या न मनो आप के मानने या न मानाने से अर्थ बदल थोड़े ही जाएगा "। लोग किसका सम्बन्ध किससे बना दे कुछ पता नही । अब आप भी सोच के देखिये "होत न आज्ञा बिनु पैसारे "?

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