Sunday 27 September 2015

इंसानों का माँस?

एक दिन एक कौवे के बच्चे ने कौवे से कहा कि हमने लगभग हर चार पैर वाले जीव का माँस खाया है, मगर आजतक दो पैर पर चलने वाले जीव का माँस नहीं खाया है.. , पापा कैसा होता है इंसानों का माँस? कौवे ने कहा मैंने जीवन में तीन बार खाया है, बहुत स्वादिष्ट होता है.. , कौवे के बच्चे ने कहा मुझे भी खाना है.. कौवे ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा चलो खिला देता हूँ.. बस मैं जैसा कह रहा हूँ वैसे ही करना मैंने ये तरीका अपने पुरखों से सीखा है.. , कौवे ने अपने बेटे को एक जगह रुकने को कहा और थोड़ी देर बाद माँस के दो टुकड़े उठा लाया.. कौवे के बच्चे ने खाया तो कहा की ये तो सूअर के माँस जैसा लग रहा है.. कौवे ने कहा अरे ये खाने के लिए नहीं है.. इस से ढेर सारा माँस बनाया जा सकता है.. जैसे दही जमाने के लिए थोड़ा सा दही दूध में डाल कर छोड़ दिया जाता है, वैसे ही इसे छोड़ कर आना है.. बस देखना कल तक कितना स्वादिष्ट माँस मिलेगा, वो भी मनुष्य का , बच्चे को बात समझ में नहीं आई मगर वो कौवे का जादू देखने के लिए उत्सुक था.. , कौवे ने उन दो माँस के टुकड़ों में से एक टुकड़ा एक मंदिर में और दूसरा पास की एक मस्जिद में टपका दिया.. तब तक शाम हो चली थी, , कौवे ने कहा अब कल सुबह तक हम सभी को ढेर सारा दो पैर वाले जानवरोँ का माँस मिलने वाला है.. , सुबह सवेरे कौवे और बच्चे ने देखा तो सचमुच गली-गली में मनुष्यों की कटी और जली लाशें बिखरी पड़ीं थीं.. हर तफ़र सन्नाटा था.. पुलिस सड़कों पर घूम रही थी.. कर्फ्यू लगा हुआ था.. आज कौवे के बच्चे ने कौवे से दो पैर वाले जानवर का शिकार करना सीख लिया था.. , कौवे के बच्चे ने पूछा अगर दो पैर वाला मनुष्य हमारी चालाकी समझ गया तो ये तरीका बेकार हो जायेगा.. कौवे ने कहा सदियाँ गुज़र गईं मगर आज तक दो पैर वाला जानवर हमारे इस जाल में फंसता ही आया है.. सूअर या बैल के माँस का एक टुकड़ा, हजारों दो पैर वाले जानवरों को पागल कर देता है, वो एक दूसरे को मारने लग जाते हैं और हम आराम से उन्हें खाते हैं.. मुझे नहीं लगता कभी उसे इतनी अक़ल आने वाली है.. , कौवे के बेटे ने कहा क्या कभी किसी ने इन्हें समझाने की कोशिश नहीं की.. , कौवे ने कहा एक बार एक ने इन्हें समझाने की कोशिश की थी, मनुष्यों ने उसे dharam ka dushman कह के मार दिया............ यहाँ सवाल ये उठता है की कौआ कौन ????? , स्टोरी बोधक है Like एवं शेयर करके अधिकाधिक लोगोँ तक पहुँचाएँ

No comments:

Post a Comment