Sunday 27 September 2015

Pappu

Pappu
संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा=पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ. “कर्मण्येवाधिका रस्ते मा फलेषु कदाचन”. पप्पू=राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.  गुरूजी=मूर्ख,ये अर्थ नही होता है.चल इसका अर्थ बता:- “बहुनि मे व्यतीतानि,जन्मानि तव चार्जुन.” पप्पू=मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं,सभी का जन्म चार जून को हुआ है.  गुरूजी=अरे गधे,संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता:- “दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा.” पप्पू=दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है.  गुरूजी=अरे पागल,तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ? पप्पू=मालूम है ना गूरूजी=तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना. -हे पार्थ त्वया चापि मम चापि…….! क्या अर्थ है जल्दी से बता. पप्पू=महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि…….. गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही कहते हैं=हाँ,शाबास,बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से……..? पप्पू=भगवान बोले=अर्जुन तू भी चाय पी ले,मैं भी चाय पी लेता हूँ.फिर युद्ध करेंगे.

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